बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 इतिहास बीए सेमेस्टर-1 इतिहाससरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 इतिहास के नवीन पाठ्यक्रमानुसार प्रश्नोत्तर
प्रश्न- चाहमान कौन थे? विग्रहराज चतुर्थ के विजयों का वर्णन कीजिए।
अथवा
विग्रहराज चतुर्थ की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर-
भारतीय राजनीति के अन्य राजपूत वंशों की भाँति चौहानों की उत्पत्ति का प्रश्न भी काफी विवादास्पद है। इनके लेखों, साहित्यिक स्रोतों और राजपूताना में प्रचलित जनश्रुतियों में इनकी उत्पत्ति से संबंधित परस्पर विरोधी बातों की चर्चा के कारण विवाद का विषय बना दिया है। पृथ्वीराज रासो उत्पत्ति से संबंधित अग्निकुल मिथक के आधार पर कर्नल टॉड तथा क्रुक इन्हें विदेशी मानते हुए सीथियन राजपूत की जाति से संबंधित करते हैं। स्मिथ, कैम्पबेल, बेडेन पावेल, भण्डारकर आदि ने टॉड तथा क्रुक का समर्थन करते हुए इन्हें विदेशी गुर्जरों की सन्तान मान लिया। इनके अनुसार गुर्जर हूणों के साथ भारत आये थे। भण्डारकर के अनुसार वासुदेव वहमन नामक शासक की मुद्रा पर अंकित लेख में वहमन के स्थान पर चाहमान पढ़ा जा सकता है। यह वासुदेव इस वंश का संस्थापक वासुदेव चाहमान है। पर इन विद्वानों के मत मान्य नहीं है। पृथ्वीराजरासो में वर्णित अग्निकुल मिथक चौदहवीं सदी ई0 का है। अभिलेखीय साक्ष्यों से इसका समर्थन नहीं मिलता। भण्डारकर का मुद्रा संबंधी साक्ष्य आधारहीन है। वासुदेव वहमन के सिक्के पर केवल वासुदेव नागरी लिपि में है। शेष वहमन सहित लेख ससानी-पहलवी अक्षरों में है। ससैनियन-पहलवी लिपि में बहमन को चाहमान कदापि नहीं पढ़ा जा सकता।
अधिकांश भारतीय विद्वान चाहमानों को भारतीय मानते हैं। पर इनमें कुछ इन्हें ब्राह्मण मानते हैं, तो क्षत्रिय। ब्राह्मण मानने वाले विद्वान सोमेश्वर के बिजौलिया लेख जिनमें क्रमशः चाहमानों के प्रारम्भिक कुछ शासक सामंतराज को विप्र तथा श्रीवत्स गोत्रज तथा इस वंश के प्रवर्तक चाहमान के वत्स ऋषि के नेत्र से उत्पन्न कहा गया है। इसी प्रकार लूटिंग देव के आबू पर्वत लेख में भी चाहमानों की उत्पत्ति वत्स ऋषि से आख्यात है। चाहमानों की ब्राह्मण वत्स ऋषि से उत्पत्ति की कहानी ख्याम खाँ रासो के रचयिता जान नामक को भी ज्ञात थी। वह चाहमानों को जमदग्न क्षेत्रीय वत्स ऋषि से जोड़ता है। इसके विपरीत मुसलमान जी. एच. ओझा तथा आर. बी. सिंह जैसे विद्वान इन्हें सूर्यवंशी क्षत्रिय मानते हैं। इनके अनुसार रत्नपाल के सेवदी ताम्रपत्र लेख में इनकी उत्पत्ति इन्द्र से आख्यात है। इस आधार पर इन्हें सूर्यवंशी क्षत्रिय माना जा सकता है। पृथ्वीराज तृतीय के बेदला प्रशस्ति में इन्हें सूर्यवंशी क्षत्रिय कहा गया है। कुछ विद्वान लुंटिगदेव के अभिलेख के आधार पर इन्हें चन्द्रवंशीय क्षत्रिय मानते हैं।
चाहमानों की उत्पत्ति के समान इनके मूल निवास स्थान के विषय में भी मतभेद है। कुछ ग्रन्थों में इन्हें सपादलक्ष का शासक बताया गया है, जबकि कुछ में पुष्कर का शासक बताते हुए इनकी राजधानी अनन्त देश बतायी गयी है। इनके कुछ लेखों में इनकी राजधानी अहिछत्रपुर का भी उल्लेख मिलता है। भण्डारकर के अनुसार सपादलक्ष शिवालिक प्रदेश में स्थित था और प्रारम्भिक चाहमानों की राजधानी अहिछत्रपुर भी यहीं स्थित थी। कुछ विद्वान अहिछत्रपुर को नागोर मारवाड़ से अभिन्न मानते हैं। इनका तर्क है कि अहिछत्रपुर जांगल देश की राजधानी थी। जांगल अथवा जांगलधर को प्रारम्भ में बीकानेर राज्य के क्षेत्रों तथा उसके शासक को कहा जाता था। दशरथ शर्मा अहिछत्रपुर की स्थिति पुतला तथा सांभर के बीच कही में मानते हैं। विशुद्धानन्द पाठक सपादलक्ष का आशय 'सवा लाख गाँव वाला क्षेत्र' मानते हैं। स्कन्ध पुराण सयंभर अथवा शाकंभर का उल्लेख किया गया है। इससे पता चलता है कि सपादलक्ष संज्ञा सांभर झील के आस-पास के क्षेत्रों के लिए प्रयुक्त की जाने लगी। इससे ज्ञात होता है कि चाहमान मूलतः शांकभरी- अजमेर क्षेत्र के मूल निवासी थे।
चाहमानों की कई शाखाएँ थी - (1) लाट के चौहान (2) धवलपुरी के चौहान (3) प्रतापगढ़ चौहान (4) शाकंभरी के चौहान (5) रणथम्भौर के चौहान (6) नड्डूल (आधुनिक नाडोल) के चौहान (7) जाबालिपुर के चौहान (8) सत्यपुर के चौहान (9) देवड़ा के चौहान। इनमें नड्डूल, जाबालिपुर तथा सत्यपुर के चाहमान शाकम्भरी के चाहमान कुल से ही सम्बन्धित थे। लाट, धवलपुर तथा प्रतापगढ़ के चाहमानों के परस्पर तथा शेष चाहमान कुलों से क्या सम्बन्ध थे, कुछ पता नहीं है। लेकिन इतिहास में सबसे प्रसिद्ध शाकंभरी के चौहान हुए। विग्रहराज चतुर्थ शाकंभरी की चौहान शाखा से ही संबंधित था।
विग्रहराज चतुर्थ-चाहमान सत्ता का चरमोत्कर्ष
विग्रहराज चतुर्थ चाहमान वंश का सर्वाधिक शक्तिशाली शासक था। वह अर्णोराज का पुत्र था तथा 1153 से 1163 ई. तक शासन किया। उसने अपने समकालीन उत्तर भारत के लगभग सभी राजवंशों को पराजित कर अपने वंश को सार्वभौम स्थिति में ला दिया। परमार साम्राज्य के विघटन के पश्चात्, देश की पश्चिमोत्तर सीमा की रक्षा का भार चाहमानों पर ही आ पड़ा तथा विग्रहराज ने सफलतापूर्वक उसका निर्वहन किया। उसने लाहौर के यामिनी वंश की शक्ति का भी विनाश किया तथा उसके बार-बार होने वाले आक्रमणों से देश की रक्षा की। विग्रहराज की भारतीय प्रदेशों की विजय में उसकी दिल्ली (ढिल्लकी) विजय सबसे उल्लेखनीय है। यहाँ तोमर वंश का शासन था। बिजौलिया लेख से इस विजय की सूचना मिलती है। दिल्ली के तोमर शासकों के विरुद्ध चौहान शासकों का संघर्ष बहुत पहले से ही चला आ रहा था किन्तु अभी तक उन्हें सफलता नहीं मिली थी। तोमर वंश की स्वाधीनता समाप्त कर उसे अपना सामंत बना लेना विग्रहराज की सबसे बड़ी सफलता थी। दशरथ शर्मा के अनुसार पराजित तोमर राजा तेंवर था। लेख के अनुसार उसने 'ढिल्लिका और असिका पर अधिकार' किया। यहाँ ढिल्लिका से तात्पर्य दिल्ली और असिका से तात्पर्य हाँसी से है। पहले तोमर प्रतिहारों की अधीनता स्वीकार करते थे। प्रतिहार साम्राज्य के पतनोपरान्त तोमर कुछ समय के लिए स्वतन्त्र हो गये। गहड़वाल लेख चन्द्रदेव के समय दिल्ली पर अधिकार का दावा करते हैं। यदि यह सही है तो ऐसा निष्कर्ष निकलता है कि तोमरों के साथ-साथ गहड़वालों को भी विग्रहराज के हाथों पराजित होना पड़ा। अब तोमर राज्य चाहमानों के अधीन एक सामंत राज्य बन गया।
विग्रहराज को अपने समकालीन चालुक्य तथा परमार राजाओं के विरुद्ध भी सफलता मिली। उसके पिता अर्णोराज को चालुक्य शासक कुमारपाल के हाथों पराजित होना पड़ा था। अतः इस कलंक को धोने के उद्देश्य से विग्रहराज ने चालुक्यों के विरुद्ध यह संघर्ष छेड़ दिया। उसने कुमारपाल को पराजित कर मेवाड़ तथा मारवाड़ पर अधिकार कर लिया। नाडोर, चित्तौड़ तथा जालौर पर भी उसने अपना अधिकार सुदृढ़ कर लिया। इन स्थानों में चालुक्यों के सामंत शासन कर रहे थे। चित्तौड़ में सज्जन नामक सामंत था। जिसे विग्रहराज के आक्रमण में मार डाला गया। नाडोल पर आक्रमण कर उसने कुन्तपाल को हराया तथा पूरे प्रदेश को रौंद डाला। जालौर को जला दिया तथा पल्लिका को तहस-नहस कर दिया। इस प्रकार स्पष्ट है कि विग्रहराज ने चालुक्य साम्राज्य को भारी क्षति पहुँचायी। अब उसने अपने पिता के पराजय का भरपूर बदला ले लिया। बिजौलिया लेख में भदानक राज्य का उल्लेख हुआ है जिसे विग्रहराज ने जीता था। इसकी स्थिति मथुरा और भरतपुर के बीच बतायी गयी है।
विग्रहराज के दिल्ली - शिवालिक लेख से पता चलता है कि उसने तुर्क आक्रमणकारी से देश की रक्षा की थी। उसका समकालीन लाहौर का शासक खुशरूशाह था जिसने उसके राज्य पर आक्रमण किया। ज्ञात होता है कि तुर्क आक्रमणकारी बघेरा तक बढ़ आये थे। यह स्थान राजस्थान में अजमेर के समीप स्थित था। किन्तु विग्रहराज के भीषण प्रतिरोध के कारण उन्हें वापस लौटना पड़ा। ऐसा प्रतीत होता है कि उसने तुकों के कुछ प्रदेश भी विजित कर लिए। बिजौलिया लेख में उल्लिखित हाँसी सम्भवतः ऐसा ही प्रदेश था जहाँ भारत में मुस्लिम राज्य की बाहरी चौकी थी। ललित विग्रहराज नाटक में उल्लिखित है कि विग्रहराज ने मित्रों, ब्राह्मणों, तीथों तथा देवालयों की रक्षा के निमित्त तुर्कों से युद्ध किया था। उसने अपने उत्तराधिकारियों को भी भविष्य में यही करने के लिए प्रेरित किया। दिल्ली लेख में कहा गया है कि विग्रहराज ने म्लेच्छों (तुर्कों) का समूल नाश कर आर्यावर्त देश का नाम सार्थक किया। बताया गया है कि उसने हिमालय से विंध्यपर्वत तक के बीच के क्षेत्र से कर वसूल किया था। दिल्ली-शिवालिक लेख हिमालय की तलहटी तक उसका अधिकार प्रमाणित करता है जहाँ तक वह अपनी विजयों के प्रसंग में पहुँचा होगा। इस प्रकार विग्रहराज के समय में चौहान साम्राज्य का काफी विस्तार हुआ। इसमें सतलज तथा यमुना नदियों के बीच स्थित पंजाब का एक बड़ा भाग, उत्तर-पूर्व में उत्तरी गंगा घाटी का एक बड़ा भाग भी सम्मिलित था। इस प्रकार विग्रहराज उत्तरी भारत का वास्तविक सार्वभौम सम्राट था। जिसने अपने वंश को प्रतिष्ठा की चरमसीमा तक पहुँचाया। अपनी महानता के अनुरूप उसने परम भट्टारक, परमेश्वर, महाराजाधिराज जैसी उपाधियां धारण की।
विजेता होने के साथ-साथ वह स्वयं एक विद्वान तथा विद्वानों का आश्रयदाता भी था। जयानक उसे 'कवि बान्धव' कहता है जिसके निधन से यह शब्द ही विलुप्त हो गया। सोमदेव ने उसे 'विद्वानों में सर्वप्रथम' कहा है। उसने 'हरिकेलि' नामक नाटक की रचना की। इसकी कुछ पंक्तियां अजमेर स्थित 'ढाई दिन का झोपड़ा' की सीढ़ियों पर उत्कीर्ण है। यह नाटक भारवि के 'कीरातार्जुनीयम् के अनुकरण पर लिखा गया है तथा इसमें उच्चकोटि की काव्यात्मक प्रतिभा प्रदर्शित है। कोलहार्न के शब्दों में इससे इस बात का वास्तविक एवं असंदिग्ध प्रमाण मिलता है कि प्राचीन भारत के शक्तिशाली शासक काव्य यश में. कालिदास तथा भवभूति से स्पर्धा करने को उत्सुक थे। स्वयं विद्वान होने के साथ-साथ विग्रहराज विद्वानों का महान् संरक्षक भी था। उसके दरबार में सोमदेव निवास करता था जिसने 'ललित विग्रहराज' नामक ग्रन्थ लिखा। इसमें उसने अपने आश्रयदाता की प्रशंसा की है। इस नाटक की पंक्तियों को पाषाण खण्डों पर उत्कीर्ण कराकर अजमेर के सरस्वती मंदिर में रखा गया था जिसे कालान्तर में तुर्क आक्रान्ताओं ने ध्वस्त कर दिया। वह कला और स्थापत्य का पोषक भी था। उसने अजमेर नगर को भव्य कलाकृतियों एवं स्मारकों से अलंकृत करवाया। इनमें सरस्वती मंदिर का निर्माण सबसे अधिक उल्लेखनीय है। इसे भारतीय कला की उत्कृष्ट रचनाओं में स्थान दिया गया है। उसके काल का दूसरा निर्माण 'बीसलसर' नामक झील है जिसे इस समय विलासिया कहा जाता है। यह पुष्कर झील के समान थी। स्वयं शैव होते हुए भी विग्रहराज अन्य धर्मों और सम्प्रदायों के प्रति सहिष्णु बना रहा।
इस प्रकार विग्रहराज चतुर्थ का शासनकाल राजनैतिक एवं सांस्कृतिक दोनों ही दृष्टियों से काफी प्रसिद्ध रहा। यह प्रारम्भिक चौहान शासकों में सबसे शक्तिशाली और प्रतिभाशाली शासक था। इसने चाहमान साम्राज्य को शक्ति एवं प्रतिष्ठा के चरमोत्कर्ष पर पहुँचा दिया था।
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- प्रश्न- ऐतिहासिक युग के इतिहास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता का परिचय दीजिए व भारत में उसके बाद विकसित होने वाली सभ्यता व संस्कृति को चित्रित कीजिए।
- प्रश्न- भारत के प्रख्यात इतिहाकार कल्हण व आर. सी. मजूमदार का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भारतीय ज्ञान प्रणाली के स्रोत पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जदुनाथ सरकार, वी. डी. सावरकर, के. पी. जायसवाल का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भारत के प्रख्यात इतिहासकार मृदुला मुखर्जी के बारे में बताइए।
- प्रश्न- भारत संस्कृति (भाषाओं) के ज्ञान से अवगत कराइये।
- प्रश्न- नृत्य व रंगमंच की भारतीय संस्कृति से अवगत कराइये।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता से मगध राज्य तक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत के प्रख्यात इतिहासकार विपिनचन्द्र पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मध्य पाषाण समाज और शिकारी संग्रहकर्ता पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- ऊपरी पुरापाषाण क्रांति क्या थी?
- प्रश्न- प्रसिद्ध इतिहासकार रोमिला थापर पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- पाषाण युग की जीवनशैली किस प्रकार की थी?
- प्रश्न- के. पी. जायसवाल के विशिष्ट कार्यों से अवगत कराइये।
- प्रश्न- वी. डी. सावरकर के धार्मिक और राजनीतिक विचार से अवगत कराइये।
- प्रश्न- लोअर पैलियोलिथिक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के विषय में आप क्या समझते हैं? 'हड़प्पा संस्कृति' के निर्माता कौन थे? बाह्य देशों के साथ उनके सम्बन्धों के विषय में आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के सामाजिक व्यवस्था का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के लोगों के आर्थिक जीवन के विषय में विस्तारपूर्वक बताइये।
- प्रश्न- सिन्धु नदी घाटी के समाज के धार्मिक व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता की राजनीतिक व्यवस्था एवं कला का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के नामकरण और उसके भौगोलिक विस्तार की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता की नगर योजना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हड़प्पा सभ्यता के नगरों के नगर-विन्यास पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- हड़प्पा संस्कृति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी के लोगों की शारीरिक विशेषताओं का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- पाषाण प्रौद्योगिकी पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के सामाजिक संगठन पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सिंधु सभ्यता के कला और धर्म पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सिंधु सभ्यता के व्यापार का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सिंधु सभ्यता की लिपि पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता में शिवोपासना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सैन्धव धर्म में स्वस्तिक पूजा के विषय में बताइये।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के विनाश के क्या कारण थे?
- प्रश्न- लोथल के 'गोदी स्थल' पर लेख लिखो।
- प्रश्न- मातृ देवी की उपासना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- 'गेरुए रंग के मृदभाण्डों की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'मोहन जोदडो' का महान स्नानागार' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ऋग्वैदिक अथवा पूर्व-वैदिक काल की सभ्यता और संस्कृति के बारे में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- विवाह संस्कार से सम्पादित कृतियों का वर्णन कीजिए तथा महत्व की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन समाज पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- उत्तर वैदिककालीन समाज में हुए परिवर्तनों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन समाज की प्रमुख विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक साहित्य के बारे में संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ब्रह्मचर्य आश्रम के कार्य व महत्व को समझाइये।
- प्रश्न- वानप्रस्थ आश्रम के महत्व को समझाइये।
- प्रश्न- सन्यास आश्रम का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मनुस्मृति में लिखित विवाह के प्रकार लिखिए।
- प्रश्न- वैदिक काल में दास प्रथा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पुरुषार्थ पर लघु लेख लिखिए।
- प्रश्न- 'संस्कार' पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गृहस्थ आश्रम के महत्व को समझाइये।
- प्रश्न- महाकाव्यकालीन स्त्रियों की दशा पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- उत्तर वैदिककालीन स्त्रियों की दशा पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वैदिककाल में विवाह तथा सम्पत्ति अधिकारों की क्या स्थिति थी?
- प्रश्न- उत्तर वैदिककाल की राजनीतिक दशा का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- विदथ पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ऋग्वेद पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- आर्यों के मूल स्थान पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'सभा' के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- वैदिक यज्ञों के सम्पादन में अग्नि के महत्त्व को व्याख्यायित कीजिए।
- प्रश्न- उत्तरवैदिक कालीन धार्मिक विश्वासों एवं कृत्यों के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- बिम्बिसार के समय से नन्द वंश के काल तक मगध की शक्ति के विकास का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नन्द कौन थे? महापद्मनन्द के जीवन तथा उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न. बिम्बिसार की राज्यनीति का वर्णन कीजिए तथा परिचय दीजिए।
- प्रश्न- उदयिन के जीवन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- नन्द साम्राज्य की विशालता का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- धननंद और कौटिल्य के सम्बन्ध का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- धननंद के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- मगध की भौगोलिक सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मौर्य कौन थे? इस वंश के इतिहास जानने के स्रोतों का उल्लेख कीजिए तथा महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- चन्द्रगुप्त मौर्य के विषय में आप क्या जानते हैं? उसकी उपलब्धियों और शासन व्यवस्था पर निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- सम्राट बिन्दुसार का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- मौर्यकाल में सम्राटों के साम्राज्य विस्तार की सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- चन्द्रगुप्त मौर्य के बचपन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सुदर्शन झील पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अशोक के प्रारम्भिक जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताइये कि वह किस प्रकार सिंहासन पर बैठा था?
- प्रश्न- सम्राट अशोक के साम्राज्य विस्तार पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सम्राट के धम्म के विशिष्ट तत्वों का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- अशोक के शासन व्यवस्था की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'भारतीय इतिहास में अशोक एक महान सम्राट कहलाता है। यह कथन कहाँ तक सत्य है? प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मौर्य वंश के पतन के लिए अशोक कहाँ तक उत्तरदायी था?
- प्रश्न- अशोक ने धर्म प्रचार के क्या उपाय किये थे? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सारनाथ स्तम्भ लेख पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- बृहद्रथ किस राजवंश का शासक था और इसके विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- कौटिल्य और मेगस्थनीज के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- कौटिल्य की पुस्तक 'अर्थशास्त्र' में उल्लेखित विषयों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य रचित 'अर्थशास्त्र' में 'कल्याणकारी राज्य' की परिकल्पना को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- गुप्तों की उत्पत्ति के विषय में आप क्या जानते हैं? विस्तृत विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- काचगुप्त कौन थे? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रयाग प्रशस्ति के आधार पर समुद्रगुप्त की विजयों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- चन्द्रगुप्त (द्वितीय) की उपलब्धियों के बारे में विस्तार से लिखिए।
- प्रश्न- कल्याणी के उत्तरकालीन पश्चिमी चालुक्य को समझाइए।
- प्रश्न- गुप्त शासन प्रणाली पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
- प्रश्न- गुप्तकाल की साहित्यिक एवं कलात्मक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गुप्तों के पतन का विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गुप्तों के काल को प्राचीन भारत का 'स्वर्ण युग' क्यों कहते हैं? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- रामगुप्त की ऐतिहासिकता पर विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य के विषय में बताइए।
- प्रश्न- आर्यभट्ट कौन था? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राजा के रूप में स्कन्दगुप्त के महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कुमारगुप्त पर संक्षेप में टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- कुमारगुप्त प्रथम की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गुप्तकालीन भारत के सांस्कृतिक पुनरुत्थान पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कालिदास पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विशाखदत्त कौन था? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्कन्दगुप्त कौन था?
- प्रश्न- जूनागढ़ अभिलेख से किस राजा के विषय में जानकारी मिलती है उसके विषय में आपसूक्ष्म में बताइए।
- प्रश्न- गुर्जर प्रतिहारों की उत्पत्ति का आलोचनात्मक विवरण दीजिए।
- प्रश्न- मिहिरभोज की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- गुर्जर-प्रतिहार नरेश नागभट्ट द्वितीय के शासनकाल की घटनाओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न-
- प्रश्न- गुर्जर-प्रतिहार शासक नागभट्ट प्रथम के शासन-काल का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- वत्सराज की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गुर्जर-प्रतिहार वंश के इतिहास में नागभट्ट द्वितीय के स्थान का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- मिहिरभोज की राजनैतिक एवं सांस्कृतिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गुर्जर-प्रतिहार सत्ता का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- गुर्जर प्रतिहारों का विघटन पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- गुर्जर-प्रतिहार वंश के इतिहास जानने के साधनों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- महेन्द्रपाल प्रथम कौन था? उसकी उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए। उत्तर -
- प्रश्न- राजशेखर और उसकी कृतियों पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- राज्यपाल तथा त्रिलोचनपाल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- त्रिकोणात्मक संघर्ष में प्रतिहारों की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- कन्नौज के प्रतिहारों पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- प्रतिहार वंश का महानतम शासक कौन था?
- प्रश्न- गुर्जर एवं पतन का विश्लेषण कीजिये।
- प्रश्न- कीर्तिवर्मा द्वितीय एवं बादामी के चालुक्यों के अन्त पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- चालुक्य राज्य के अंधकार काल पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पूर्वी चालुक्य शासकों ने कला और संस्कृति में क्या योगदान दिया है?
- प्रश्न- चालुक्य कौन थे? इनकी उत्पत्ति के बारे में बताइए।
- प्रश्न- वेंगी के पूर्व चालुक्यों पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- चालुक्यकालीन धर्म एवं कला का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चालुक्यों की विभिन्न शाखाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चालुक्य संघर्ष के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- कल्याणी के पश्चिमी चालुक्यों की शक्ति के प्रसार का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- चालुक्यों की उपलब्धियों के महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चालुक्यों की शासन व्यवस्था का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चालुक्य- पल्लव संघर्ष का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- परमारों की उत्पत्ति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- राजा भोज के शासन काल में चतुर्दिक उन्नति हुई।
- प्रश्न- परमार नरेश वाक्पति II मुंज के शासन काल की घटनाओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- राजा भोज के शासन प्रबंध के विषय में आप क्या जानते हैं? बताइए।
- प्रश्न- परमार वंश के पतन पर प्रकाश डालिए तथा इस वंश का पतन क्यों हुआ?
- प्रश्न- परमार साहित्य और कला की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- परमार वंश का संस्थापक कौन था?
- प्रश्न- मुंज परमार की उपलब्धियों का आंकलन कीजिए।
- प्रश्न- 'धारा' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सीयक द्वितीय 'हर्ष' के शासन काल की घटनाओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धुराज पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- परमारों के पतन के कारण बताइए।
- प्रश्न- राजा भोज एवं चालुक्य संघर्ष का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- राजा भोज की सांस्कृतिक उपलब्धियों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- परमार इतिहास जानने के साधनों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भोज परमार की उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- परमारों की प्रशासनिक व्यवस्था पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- विग्रहराज चतुर्थ के शासन काल की घटनाओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अर्णोराज चाहमान के जीवन एवं उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पृथ्वीराज चौहान की उपलब्धियों की समीक्षा कीजिए। मोहम्मद गोरी के हाथों उसकी पराजय के क्या कारण थे? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- चाहमान कौन थे? विग्रहराज चतुर्थ के विजयों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चाहमान कौन थे?
- प्रश्न- विग्रहराज द्वितीय के शासनकाल की घटनाओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अजयराज चाहमान की उपलब्धियों पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पृथ्वीराज चौहान की सैनिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विग्रहराज चतुर्थ की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- पृथ्वीराज और जयचन्द्र की शत्रुता पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- ऐतिहासिक साक्ष्य के रूप में पृथ्वीराज रासो के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- चाहमान वंश का प्रसिद्ध शासक आप किसे मानते हैं?
- प्रश्न- चाहमानों के विदेशी मूल का सिद्धान्त पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- पृथ्वीराज तृतीय के चन्देलों के साथ सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- गोविन्द चन्द्र गहड़वाल की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- गहड़वालों की उत्पत्ति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जयचन्द्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अर्णोराज के राज्यकाल की प्रमुख राजनीतिक घटनाओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- चाहमानों (चौहानों) के राजनीतिक इतिहास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ललित विग्रहराज नाटक पर नोट लिखिए।
- प्रश्न- चाहमान नरेश पृथ्वीराज तृतीय के तराइन युद्धों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चौहान वंश के इतिहास जानने के स्रोतों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामंतवाद पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सामंतवाद के पतन के कारण बताइए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में सामंतवाद की क्या स्थिति थी?
- प्रश्न- मौर्य प्रशासन और सामंतवाद पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न-
- प्रश्न- वेदों की उत्पत्ति के विषय में बताइए। वेदों ने हमारे जीवन को किस प्रकार के ज्ञान दिये?
- प्रश्न- हिन्दू धर्म और संस्कृति पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए
- प्रश्न- हिन्दू वर्ग की जाति-व्यवस्था व त्योहारों के विषय में बताइए।
- प्रश्न- 'लिंगायत'' के बारे में बताइए।
- प्रश्न- हिन्दू धर्म के सुधारकों के विषय में बताइए।
- प्रश्न- हिन्दू धर्म में आत्मा से सम्बन्धित विचारों से अवगत कराइये।
- प्रश्न- हिन्दुओं के मूल विश्वासों से अवगत कराइए।
- प्रश्न- उपवास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- हिन्दू धर्म में लोगों के गाय के प्रति कर्तव्य से अवगत कराइये।
- प्रश्न- हिन्दू धर्म में
- प्रश्न- मुहम्मद गोरी के भारत आक्रमण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मुहम्मद गोरी की भारत विजय के कारणों की सुस्पष्ट व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- राजपूतों के पतन के कारणों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मुस्लिम आक्रमण के समय उत्तर की राजनीतिक स्थिति का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- महमूद गजनवी के भारतीय आक्रमणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत पर मुहम्मद गोरी के आक्रमण के क्या कारण थे?
- प्रश्नृ- गोरी के आक्रमण के समय भारत की राजनीतिक दशा कैसी थी?
- प्रश्न- गोरी के आक्रमण के समय भारत की सामाजिक स्थिति का संक्षिप्त वर्णन करें।
- प्रश्न- 11-12वीं सदी में भारत की आर्थिक स्थिति पर टिप्पणी लिखें।
- प्रश्न- 11-12वीं सदी में भारतीय शासकों के तुर्कों से पराजय के क्या कारण थे?
- प्रश्न- भारत में तुर्की राज्य स्थापना के क्या परिणाम हुए?
- प्रश्न- मुहम्मद गोरी का चरित्र-मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- अरबों की असफलता के क्या कारण थे?
- प्रश्न- अरब आक्रमण का प्रभाव स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- तराइन के प्रथम युद्ध पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत पर तुर्कों के आक्रमण के क्या कारण थे?
- प्रश्न- महमूद गजनवी का आनन्दपाल पर आक्रमण का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- महमूद गजनवी का कन्नौज पर आक्रमण पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- महमूद गजनवी द्वारा सोमनाथ का विध्वंस पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये। [
- प्रश्न- महमूद गजनवी के आक्रमण के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारत पर महमूद गजनवी के आक्रमण के परिणामों पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- मोहम्मद गोरी की विजयों के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- भारत पर तुर्की आक्रमण के प्रभावों का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।